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चाँद की चोरी

जो भी चुराया जा सकता है, वह द्रष्टा के सम्मुख दो कोड़ी का साबित होता है । जब तक व्यक्ति को यह समझ नहीं आता कि वह जिन-जिन चीजों का लालच करता है,वह दो कोड़ी से ज्यादा मूल्य नहीं रखता, उसका लालच बना रहता है । एक बहुत सुंदर झेन कहानी है । झेन गुरु रियोकॉन प्रकृति के सान्निध्य में पर्वतों की तलहटी में एक कुटिया में रहते थे । एक रात उनकी कुटिया में एक चोर घुस आया । लेकिन वहाँ चुराने लायक कुछ भी नज़र नहीं आया । वह निराश खाली हाथ लौटने ही वाला था कि रियोकॉन वहां आ पहुँचे ।  रियोकॉन ने चोर से कहा, तुम बड़ी दूर से चल कर आए लगते हो । मैं तुम्हें यूँ निराश नहीं लौटने दूँगा । मेरे पास चुराने लायक कुछ नहीं है । लेकिन मेरे पास ये कपड़े हैं, इन्हें उपहार स्वरूप प्राप्त करो । चोर चकित था, उसने ऐसा व्यक्ति नहीं देखा था, जो स्वयं चोर की सहायता करे । उसने कपड़े थामे और चुपचाप वहां से चला गया ।  वस्त्रहीन शरीर के साथ रियोकॉन बाहर एक शिला पर बैठ कर चाँद को निहारने लगा । चाँद की खूबसूरती देखते ही बनती थी । आधी रात का पूर्णिमा का चाँद और रियोकॉन की दृष्टि उसमें कुछ अमूल्य पा रही थी । रियोकॉन ने स्वयं से कहा

अवधान

हम दैनिक जीवन में कितने चेतनशील जीते हैं, दैनिक जीवन के कामों को करते हुए कितने चेतनशील होते हैं ? इस चेतनशीलता को विकसित करना ही झेन का आधार है । झेन साधक इस चेतनशील जीवन को साधने के लिए झेन गुरु के सान्निध्य में शिक्षा लेते हैं । कम से कम दो वर्ष । झेन गुरु नान-इन के पास इस हेतु एक टेन्नो नाम का साधक शिक्षा ग्रहण करता था । शिक्षा पूरी होने पर टेन्नो अपने गुरु से मिलने गया । वर्षा का मौसम था । टेन्नो खड़ाऊ पहने था और छाता साथ में लिए हुए था । गुरु के निवास स्थान में प्रवेश करने से पूर्व उसने अपने खड़ाऊ और छाता बाहर अहाते में रखे और कुटिया में प्रवेश किया । नान-इन ने टेन्नो का स्वागत किया और उसकी ओर गौर से देखते हुए पूछा, मेरा ख्याल है, तुम अपने खड़ाऊ अहाते में छोड़ कर आए हो । मैं यह जानना चाहता हूँ कि तुम्हारा छाता तुम्हारे खड़ाऊ के दायीं तरफ रखा है या बायीं तरफ ?  टेन्नो उलझन में था । वह यह कार्य करते हुए सजग न था । उसे तत्काल कोई जवाब न सूझा । उसे एहसास हुआ कि जिस ध्यान की शिक्षा वह ग्रहण कर चुका है, वह पूरी नहीं हुई है और वह सजग जीवन जीने में सफल नहीं हुआ है । इसे पूरा करने के लिए

वीणा के तार तोड़ना - एक चीनी मुहावरा

झेन कथाएं हमें चेतनशील जीवन जीने की प्रेरणा देती हैं । झेन कथाओं में व्यक्ति की चेतना का अनेक-अनेक ढ़ँग से अवबोध कराने का प्रयास रहता है । इनके द्वारा दैनिक जीवन में सजगता के प्रयोग को गहराया जाता है और व्यक्ति को ध्यान में अवस्थित होने का अवसर मिलता है । इसी प्रकार की एक झेन कथा प्रस्तुत है :- चीन में दो मित्र हुए । एक मित्र वीणा वादन में कुशल था । उसके वीणा वादन में विभिन्न स्वर लहरियाँ थी । जब वह वीणा के तार झंकृत करता था, तो दूसरा उसके स्वरों को डूब कर सुनता था । जब पहला वीणा से कोई पहाड़ी धुन छेड़ता, तो दूसरा कहता, मेरी आँखों के सम्मुख पर्वतों की चोटियाँ सजीव हो उठी हैं और घाटियों की प्रतिध्वनि गूँज उठी है ।  वादक पानी के सुर लगाता, तो दूसरा मित्र कहता, ऐसा लगता है जैसे कल-कल करती नदी मेरे सम्मुख प्रवाहित हो रही है । एक मित्र के पास वीणा वादन की कुशलता थी तो दूसरे के पास सुनने की अद्-भूत कर्ण शक्ति ।  एक दिन सुनने वाला मित्र बीमार पड़ा और जल्दी ही देह से मुक्त हो गया । वीणा वादक ने अपनी वीणा के तार तोड़ डाले और कहते हैं कि फिर उसने कभी वीणा नहीं बजाई ।  क्यो ?  लेकिन तब से च

ईर्ष्या

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सामने की दीवाल पर पड़ने वाली तेज धूप के कारण आंखें मिचमिचाती थी और लोगों के चेहरे भी कुछ अस्पष्ट दीखते थे । एक छोटी लड़की स्वयं ही मेरे पास आकर बैठ गई । यह सब क्या चल रहा है, इस कौतूहल से उसकी आंखें विस्फारित हो रही थी । शायद उसने अभी-अभी स्नान किया था और वह स्वच्छ वस्त्र पहने थी । उसके बालों में फूल भी लगे थे । बाल-स्वभाव के अनुरूप बहुत कुछ ध्यान में न रखने की चिंता न करते हुए, वह आसपास की सारी बातों का निरीक्षण कर रही थी । उसकी आंखों में अनोखी चमक थी । अब क्या किया जाए- रोए,हँसे कि उछल-कूद करे - उसे सूझ नहीं रहा था । संभवत: इसी कारण उसने सहज रूप से मेरा हाथ अपने हाथ में लिया और उसका अत्यंत ध्यानपूर्वक निरीक्षण करने लगी ।जल्दी ही वह आसपास के लोगों को भूल गई और मेरी जांघ पर सिर रखकर सो गई । उसका माथा सुंदर,सुडौल था और वह अत्यंत स्वच्छ और निर्मल थी । लेकिन उसका भविष्य कमरे में बैठे अन्य लोगों की तरह भ्रम और दुखमय था । भविष्य में उसके मन में पैदा होनेवाला संघर्ष और दुख सामने की दीवाल पर पड़ने वाले सूर्य-प्रकाश की तरह स्पष्ट है । क्योंकि दुख और वेदना से मुक्त होने के लिए श्रेष्ठ प्रज्ञा आ

दीपावली की शुभकामनाएँ

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दीपावली की हार्दिक शुभकामनाएँ  असतो मा सदगमय  तमसो मा ज्योतिर्गमय मृत्योर्मा अमृतं गमय  ॐ शांति ! शांति !! शांति !!! Let the festival of lights lead us from falsehood to Truth! From darkness to Light! From death to Eternal Life! Let there be Peace Everywhere to Everyone at Every moment! Wishing you & your family A Happy & Enlightening  Deepavali!