tag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post1742219419845569634..comments2023-08-06T19:41:00.196+05:30Comments on गूंजअनुगूंज: टूटते-सपनेमनोज भारतीhttp://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-28045323689601611982009-08-26T02:23:45.214+05:302009-08-26T02:23:45.214+05:30अदा जी,
शुक्रिया !
जीवन जो सपने की तरह भासता है ...अदा जी, <br /><br />शुक्रिया !<br />जीवन जो सपने की तरह भासता है <br />वह वास्तविक जीवन कैसे हो सकता है<br />जो यह सब देख रहा है क्या <br />वही अदृश्य इस सबका भाग्य विधाता नहीं है ।मनोज भारतीhttps://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-57157094018015189202009-08-26T02:06:08.230+05:302009-08-26T02:06:08.230+05:30शायद सपना ही हो यह जीवन...
सुनते तो आये हैं ...इहल...शायद सपना ही हो यह जीवन...<br />सुनते तो आये हैं ...इहलोक से परे है कोई लोक जहाँ हम सबको जाना है...और सबका अंतिम पड़ाव भी वही है....<br />पाप-पुण्य का हिसाब-किताब वहीँ होगा....चित्रगुप्त जी अपना पोथी निकालेंगे और पूछेंगे हमसे...स्वप्न मञ्जूषा https://www.blogger.com/profile/06279925931800412557noreply@blogger.com