tag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post458255306136120057..comments2023-08-06T19:41:00.196+05:30Comments on गूंजअनुगूंज: जीवन-वीणा का संगीतमनोज भारतीhttp://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-79102545426328578032012-08-18T06:38:54.260+05:302012-08-18T06:38:54.260+05:30खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है
जो कि खम...खरगोश का संगीत राग रागेश्री पर आधारित है <br />जो कि खमाज थाट का सांध्यकालीन राग <br />है, स्वरों में कोमल निशाद और बाकी स्वर शुद्ध लगते हैं, पंचम <br />इसमें वर्जित है, पर <br />हमने इसमें अंत में पंचम का प्रयोग भी किया है, जिससे इसमें राग बागेश्री भी झलकता है.<br />..<br /><br />हमारी फिल्म का संगीत वेद नायेर ने <br />दिया है... वेद जी को अपने संगीत कि प्रेरणा जंगल <br />में चिड़ियों कि चहचाहट से मिलती है.<br />..<br /><i>My homepage</i> :: <b><a href="http://www.youtube.com/watch?v=FbfbqR0ihfA" rel="nofollow">हिंदी</a></b>Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-87512297105775671302012-04-05T00:19:50.873+05:302012-04-05T00:19:50.873+05:30सबसे पहले हमारे पास जो है, उसके लिए संतोष का भाव ह...सबसे पहले हमारे पास जो है, उसके लिए संतोष का भाव होना चाहिए, और जो नहीं उसके लिए कोशिश होनी चाहिए। सिर्फ असंतुष्ट रहने का कोई मतलब नहीं है।मनोज कुमारhttps://www.blogger.com/profile/08566976083330111264noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-78525257517062108542012-04-04T13:41:18.826+05:302012-04-04T13:41:18.826+05:30वीणा के तार हों या घड़ी की कुंजी.. अत्यधिक उमेठने प...वीणा के तार हों या घड़ी की कुंजी.. अत्यधिक उमेठने पर कमानी टूट जाती है.. वीणा के सुर हों या घड़ी का नियमित चालन, न ढीला और न कसाव ही उचित है!! <br />बहुत ही सुन्दर बोधि कथा!!चला बिहारी ब्लॉगर बननेhttps://www.blogger.com/profile/05849469885059634620noreply@blogger.com