tag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post4691856573345620140..comments2023-08-06T19:41:00.196+05:30Comments on गूंजअनुगूंज: सौंदर्यमनोज भारतीhttp://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comBlogger5125tag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-8482059832013210692009-10-02T13:23:18.342+05:302009-10-02T13:23:18.342+05:30वस्तुत: सौंदर्य अस्तित्व का परम फूल है जो कभी मुरझ...वस्तुत: सौंदर्य अस्तित्व का परम फूल है जो कभी मुरझाता नहीं .<br /><br />bahut sunder.saundrya ki purn paribhasha.shikha varshneyhttps://www.blogger.com/profile/07611846269234719146noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-37653460703982175082009-10-02T09:35:34.736+05:302009-10-02T09:35:34.736+05:30वाह वाह क्या बात है! अत्यन्त सुंदर! आपकी लेखनी को ...वाह वाह क्या बात है! अत्यन्त सुंदर! आपकी लेखनी को सलाम!<br />मेरे इस ब्लॉग पर आपका स्वागत है-<br />http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.comUrmihttps://www.blogger.com/profile/11444733179920713322noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-36154749051582940342009-10-01T11:56:51.924+05:302009-10-01T11:56:51.924+05:30सौंदर्य अस्तित्व का परम फूल है जो कभी मुरझाता नहीं...सौंदर्य अस्तित्व का परम फूल है जो कभी मुरझाता नहीं<br /><br />sach kaha hai aapne.........<br /><br />सौंदर्य अस्तित्व का परम फूल है जो कभी मुरझाता नहीं....<br /><br />thnx for sharing..डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali)https://www.blogger.com/profile/13152343302016007973noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-21211436141489347652009-09-29T18:15:34.140+05:302009-09-29T18:15:34.140+05:30सौंदर्य के मायने यूँ तो सबकी नज़रों में अलग अलग है...सौंदर्य के मायने यूँ तो सबकी नज़रों में अलग अलग हैं परन्तु प्रकृति के नियम अपने ही नियम हैं ...प्राकृतिक सौंदर्य की बात ही कुछ और है ....लीपा पोती ( राजनीतिक नहीं ) करके तो कोई भी सुन्दर बन सकता है ...renuhttp://pukhraaj.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-52045420683669554392009-09-28T23:29:18.580+05:302009-09-28T23:29:18.580+05:30कृष्ण श्याम वर्ण हैं, फिर भी उनमें अद्भूत सौंदर्य ...कृष्ण श्याम वर्ण हैं, फिर भी उनमें अद्भूत सौंदर्य है<br /><br />समझदार के लिए आपकी उपरोक्त बात ही बहुत कुछ कह देती है, पर अफ़सोस कि हम पढ़ लिख कर भी समझाना ही नहीं चाहते.<br /><br />मैं आपकी समस्त बैटन से सहमत हूँ और इसी विचारधारा का भी हूँ, प्रकृति में गहरा विश्वास और कृतिमता से तीव्र विरोध.<br /><br />हार्दिक आभार, इतने अच्छे विचारों से अवगत करने के लिए...........<br /><br />चन्द्र मोहन गुप्त<br />जयपुर<br />www.cmgupta.blogspot.comMumukshh Ki Rachanainhttps://www.blogger.com/profile/11100744427595711291noreply@blogger.com