tag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post5495092870317435599..comments2023-08-06T19:41:00.196+05:30Comments on गूंजअनुगूंज: भारत दुर्दशामनोज भारतीhttp://www.blogger.com/profile/17135494655229277134noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-2403742771079252622010-08-08T21:44:46.022+05:302010-08-08T21:44:46.022+05:30मनोज जी पहले से तो काफी बदलाव आया है गाँवों में .....मनोज जी पहले से तो काफी बदलाव आया है गाँवों में .....<br />स्कूली बच्चों को साईकिल ,युनिफोर्म , पुस्तकें ,भोजन , किसानों को बीज ,कपडा बुनकरों को सूत आदि उपलब्ध है ....<br />मुझे तो पूरी जानकारी नहीं पर कई ग्रामीण महिलाओं को कहते सुना है .....<br />हाँ कुछेक दूर दराज के गाँव इन सुविधाओं से महरूम हो सकते हैं .....हरकीरत ' हीर'https://www.blogger.com/profile/09462263786489609976noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-364686295998286815.post-54396987328665758842010-08-08T18:13:10.119+05:302010-08-08T18:13:10.119+05:30वस्तुत: ग्राम-दुर्दशा ही भारत दुर्दशा है। जो लोग ग...वस्तुत: ग्राम-दुर्दशा ही भारत दुर्दशा है। जो लोग गाँव छोड़कर शहरों में आ गये हैं किन्तु ठीक-ठाक कमाई नहीं है उनकी दशा तो गाँव में रहने वालों से भी बुरी है।<br /><br />देश के कर्णधारों को ऐसी नीति खोजनी पड़ेगी जिससे सबको समुचित काम मिल सके ; सभी कुछ न कुछ ' निर्माण ' कर सकें । इसके साथ-साथ उनकी आजीविका सुनिश्चित हो ; वे चिन्तामुक्त होकर काम कर सकें और देश के विकास में हाथ बटा सकें।अनुनाद सिंहhttps://www.blogger.com/profile/05634421007709892634noreply@blogger.com