पुस्तकें आप की अक्षय जीवन संगिनी हैं।यदि आपके पास पुस्तकें हैं तो आपके पास बुद्धिमता,हर्ष,विद्वता,चतुरता,विवेक,ज्ञान और तत्त्वज्ञान का झरना है।इनके द्वारा आप शताब्दियों के सर्वोत्तम विचारकों का सत्संग कर सकते हैं और जब भी आपकी इच्छा हो इनसे लाभ उठा सकते हैं। पुस्तकें मन को आलोकित करती हैं,प्राण को सबल बनाती हैं,क्लांत शरीर को उठाती हैं और जीवन भर साथ बनी रहती हैं।-टी.पी.डून्न
आध्यात्मिक विषयों पर केंद्रित यह ब्लॉग सत्य,अस्तित्व और वैश्विक सत्ता को समर्पित एक प्रयास है : जीवन को इसके विस्तार में समझना और इसके आनंद को बांटना ही इसका उद्देश्य है। एक सनातन गूंज...जो गूंज रही है अनवरत...उसी गूंज की अनुगूंज यहां प्रतिध्वनित हो रही है...