जिंदगी फ़िराक़ की नज़र से
मौत का भी इलाज हो शायद
जिंदगी का कोई इलाज नहीं
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न समझने की ये बातें हैं न समझाने की
जिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की
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गुर जिंदगी के सीखे खिलती हुई कली से
लब पर है मुस्कराहट दिल खून रो रहा है
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हमें भी देख जो इस दर्द से कुछ होश में आए
अरे दीवाना हो जाना मुहब्बत में तो आसां है
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कोई समझे तो एक बात कहूँ
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं
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जिंदगी का कोई इलाज नहीं
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न समझने की ये बातें हैं न समझाने की
जिंदगी उचटी हुई नींद है दीवाने की
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गुर जिंदगी के सीखे खिलती हुई कली से
लब पर है मुस्कराहट दिल खून रो रहा है
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हमें भी देख जो इस दर्द से कुछ होश में आए
अरे दीवाना हो जाना मुहब्बत में तो आसां है
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कोई समझे तो एक बात कहूँ
इश्क़ तौफ़ीक़ है गुनाह नहीं
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एक से एक लाजवाब शेर लिखे हैं, जिंदगी का दुनो पहलू बयान करने वाला.. मुनव्वर राना साहब का एगो शेर खास इससे मेल खाता हुआः
जवाब देंहटाएंशगुफ़्ता लोग भी टूटे हुए होते हैं अंदर से
बहुत रोतेहैंवो जिनको लतीफ़े याद होते हैं.
(शगुफ्ताः मुस्कुराने वाले)
का बात है मनोज बाब, जब से हमरा परिचय सुने हैं एक दम रस्तवे भुला गए हैं...कोनो गलती होगा त छमा कीजिएगा...
जवाब देंहटाएंbahut sunder....
जवाब देंहटाएंआभार इसे प्रस्तुत करने का,
जवाब देंहटाएंbahut sundar
जवाब देंहटाएंगुर जिंदगी के सीखे खिलती हुई कली से
जवाब देंहटाएंलब पर है मुस्कराहट दिल खून रो रहा है॥
बहुत सुन्दर पंक्तियाँ! इस उम्दा रचना के लिए बधाई!
भई खूब कहा है! क्या बात है! मनोज भाई बहुत दिनों के बाद लौटे हैं.
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