ह्रदय का सूनापन
हरे भरे पेड़ों के बीच
मैं आकर्षित होता हूँ
उस पेड़ की ओर जो सूख कर
ठूंठ हो गया है
तारों भरे आकाश में
मैं आकर्षित होता हूँ
उस चाँद की ओर जो
एकाकी पड़ गया है
सुख- दुख से भरे इस संसार में
मैं आकर्षित होता हूँ
उस इंसान की ओर
जो समानुभूति रखता है -
ठूंठ हो गए पेड़ से
एकाकी पड़े चाँद से
और मेरे ह्रदय के सूनेपन से
मैं आकर्षित होता हूँ
उस पेड़ की ओर जो सूख कर
ठूंठ हो गया है
तारों भरे आकाश में
मैं आकर्षित होता हूँ
उस चाँद की ओर जो
एकाकी पड़ गया है
सुख- दुख से भरे इस संसार में
मैं आकर्षित होता हूँ
उस इंसान की ओर
जो समानुभूति रखता है -
ठूंठ हो गए पेड़ से
एकाकी पड़े चाँद से
और मेरे ह्रदय के सूनेपन से
भावपूर्ण, अर्थपूर्ण कविता....
जवाब देंहटाएंaaj aapke blog par aaker bahut achcha laga saari rachnayen bahut sunder bhav liye huye hain hardik shubhkamnayen
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