पहचान
सूर्य के प्रकाश के साथ
आत्मा का चैतन्य हो
तो मन का अंधकार मिटे
सहज कर्म घटे
परिश्रम से थकान न हो
जीवन में ठहराव न हो
व्यापार में हानि न हो
संसार में शांति हो
रात्रि के अंधकार के साथ
दिन के परिश्रम से उपजा विश्राम हो
तो मन में शांति हो
तन में कांति हो
धन में वृद्धि हो
जन में सुबुद्धि हो
प्रकृति ने दिया मनुष्य को
वह सब
जिस से वह बने महान
आंखें दो, कान दो, मुँह एक
ताकि -
वह अधिक देखे, अधिक सुने और
कम बोले
लेकिन -
कहां हैं वे आँखें -
जो पहचान सकें प्रकृति के सच को
कहां हैं वे कान -
जो सुन सकें प्रकृति के नाद को
बस एक मुँह है -
जो बकता है और चरता है हरदम
हे मानव !
उठ और पहचान अपनी प्रकृति को
इससे पहले कि -
काल तुझे अपने गाल में ले ले
आत्मा का चैतन्य हो
तो मन का अंधकार मिटे
सहज कर्म घटे
परिश्रम से थकान न हो
जीवन में ठहराव न हो
व्यापार में हानि न हो
संसार में शांति हो
रात्रि के अंधकार के साथ
दिन के परिश्रम से उपजा विश्राम हो
तो मन में शांति हो
तन में कांति हो
धन में वृद्धि हो
जन में सुबुद्धि हो
प्रकृति ने दिया मनुष्य को
वह सब
जिस से वह बने महान
आंखें दो, कान दो, मुँह एक
ताकि -
वह अधिक देखे, अधिक सुने और
कम बोले
लेकिन -
कहां हैं वे आँखें -
जो पहचान सकें प्रकृति के सच को
कहां हैं वे कान -
जो सुन सकें प्रकृति के नाद को
बस एक मुँह है -
जो बकता है और चरता है हरदम
हे मानव !
उठ और पहचान अपनी प्रकृति को
इससे पहले कि -
काल तुझे अपने गाल में ले ले
आंखें दो, कान दो, मुँह एक
जवाब देंहटाएंताकि -
वह अधिक देखे, अधिक सुने और
कम बोले
sahi hai...lekin maanta kaun hai..
sundar..
atisundar...