धारणाओं में मत बंधिए, चीजों को पूरा परखिए

दो राजकुमार आखेट के लिए घुमते हुए किसी घने वनीय क्षेत्र में विपरीत दिशाओं से आते हुए एक स्थान पर आकर रुके, जहां एक विशाल मूर्ति स्थापित थी । पहला राजकुमार उस मूर्ति को देख कर बोला - आश्चर्य ! इतनी सुंदर, अनुपम साक्षात सौंदर्य की देवी को इस घने वन में किस कलाकार ने बनाया होगा । दूसरे राजकुमार ने, जो मूर्ति के दूसरी ओर खड़ा था, पहले राजकुमार के वचनों को सुना और बोला - अरे मूर्ख ! तुम्हें यह सौंदर्य की देवी दिखाई पड़ती है, यह तो किसी कलाकार द्वारा बनाई किसी वीर,ओजस्वी सेनापति की मूर्ति है । इस बात को लेकर दोनों राजकुमारों में ठन गई और उन्होंने अपनी मयान से तलवारें खींच ली और एक दूसरे से भीड़ गए । दोनों वीर परस्पर रक्त-रंजित हो गए । तभी वहां एक बूढ़ी स्त्री आई, जो अब तक दूर खड़ी दोनों राजकुमारों के बीच इस बहस और द्वंद्व को देख रही थी । उसने राजकुमारों से कहा, ठहरो! तुम व्यर्थ इतनी देर से झगड़ रहे हो । तुम दोनों अपनी जगह बदल कर इस मूर्ति को देखो । दोनों राजकुमारों ने लड़ना छोड़, अपनी जगह बदल कर देखा तो दोनों के हाथों से तलवार छूट गई और दोनों एक दूसरे के गले लग गए । वस्तुत: वह विशाल मूर्ति सौंदर्य और वीरता की ही प्रतिमूर्ति थी । विपरीत दिशाओं में खड़े होने के कारण उन्होंने वही जाना, जो उन्होंने एक ओर से देखा था । उनका सत्य अर्ध सत्य था । यदि उन्होंने पहले ही मूर्ति को अच्छी तरह देख लिया होता, तो उनके बीच व्यर्थ लड़ाई न हुई होती ।

हमारी भ्रांत धारणाएं भी ऐसी ही होती हैं । हम चीजों के एक पक्ष को जान कर ही उनके बारे में धारणाएं बना लेते हैं और सत्य को पूरी तरह जानने की कोशिश नहीं करते और व्यर्थ के विवादों में उलझ जाते हैं । मनुष्य का विवेक जागने पर ही चीजों को पूरा और हर पहलू से जानने की समझ पैदा होती है । हर झगड़े की जड़ समझ का अभाव है ।

टिप्पणियाँ

  1. आपके ब्लॉग ने मुझे बहुत आकर्षित किया है..
    लघु-कथाएँ लाजवाब हैं, जीवन के छोटे-छोटे पहलुओं पर प्रकाश डालती हुई, तथा उन तथ्यों को उकेरती हुई जिनकी आवश्यकता दिन-प्रतिदिन होती है...बहुत ही सुन्दर....

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  2. धन्यवाद !!!
    इस ब्लॉग पर इतना समय देने के लिए
    और मेरी थोड़ी सी समझ और जानकारी से बने इस ब्लॉग की प्रशंसा के लिए, जीवन छोटे-छोटे क्षणों की ही यात्रा है...
    पुन: इस ब्लॉग पर पधारने और अपने अभिमत से अवगत कराने के लिए ।

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