आदतवश
बात तेरह साल पहले की है । मेरे पड़ौस में एक परिवार रहता था । उनके दो बेटे थे । माँ अक्सर अपने बेटों को बात-बात पर डाँटती रहती थी । डाँटते समय उनके मुख से हमेशा हरामजादा शब्द निकलता था । मैं जब भी इस शब्द को सुनता तो मुझे बहुत अजीब-सा लगता था । मैं सोचता कि इस शब्द का प्रयोग सचेतन हो रहा है या आदतवश ? पड़ौस से इस शब्द का प्रयोग रोज ही सुनने को मिल जाता था । एक दिन मैंने उनके छोटे बेटे से पूछ ही लिया कि क्या तुम्हें हरामजादे शब्द का मतलब मालूम है । जो आठवीं कक्षा का विद्यार्थी था । उसने अनभिज्ञता व्यक्त की । मैंने उसे कहा, ठीक है ! इस बार आंटी जब आप को यह गाली दे तो उनसे पूछना कि हरामजादे का मतलब क्या होता है । छोटे बेटे ने वैसा ही किया । कुछ असर दिखाई पड़ा । पड़ौस से अब हरामजादे की आवाज़े बहुत कम सुनाई देने लगी थी ।
व्यवहार में हम कितने ही शब्दों का प्रयोग आदतवश करते हैं, बिना यह सोचे विचारे की कि जिन शब्दों का हम प्रयोग कर रहें हैं, उनका मतलब क्या है ? क्या यह सचेतन जीना है ?
व्यवहार में हम कितने ही शब्दों का प्रयोग आदतवश करते हैं, बिना यह सोचे विचारे की कि जिन शब्दों का हम प्रयोग कर रहें हैं, उनका मतलब क्या है ? क्या यह सचेतन जीना है ?
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जवाब देंहटाएंसही कहा मनोज जी ....मैं खुद जब इस तरह की आदतन कही गालियाँ सुनती हूँ तो ग्लानी होती है ....पर मैं इस बात का हमेशा ध्यान रखती हूँ कि मेरे शब्दों से किसी को चोट न पहुंचे .....!!
जवाब देंहटाएंgyan bhari baate jo hame sahi disha ki or le jaati hai .sundar
जवाब देंहटाएंबहुत बढ़िया लिखा है आपने ! मैं तो कभी किसीको तकलीफ पहुँचाने की बात सोच भी नही सकती और यही चाहती हूँ की सभी खुशी से रहे !
जवाब देंहटाएंव्यवहार में हम कितने ही शब्दों का प्रयोग आदतवश करते हैं, बिना यह सोचे विचारे की कि जिन शब्दों का हम प्रयोग कर रहें हैं, उनका मतलब क्या है ? क्या यह सचेतन जीना है ?
जवाब देंहटाएंकत्तई नहीं, जो आदत का गुलाम, उसका अपना अस्तित्व ही नहीं.
चन्द्र मोहन गुप्त
जयपुर
www.cmgupta.blogspot.com
गालियों का मतलब समझना भी कम बढ़ी बात नहीं।
जवाब देंहटाएंआपने इस लघु-लेख द्वारा हमारे दैनिक व्यवहार की समीक्षा करने को विवश कर दिया है। आपकी अंतर्दृष्टि को नमन है।
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