पाखंड और स्वधर्म
" न कोई 'कर्म', न कोई 'किस्मत', न कोई 'ऐतिहासिक आदेश'- 'तुम्हारा जीवन तुम पर नि र्भर है' | 'उत्तरदायी ठहराने के लिए कोई परमात्मा नहीं', 'सामाजिक पद्धति या सिद्धांत नहीं है' | 'ऐसी स्थिति में तुम इसी क्षण सुख में रह सकते हो या दुख में' | 'स्वर्ग अथवा नरक कोई ऐसे स्थान नहीं हैं जहाँ तुम मरने के बाद पहुँच सको', 'वे अभी इसी क्षण की संभावनाएँ हैं' | 'इस समय कोई व्यक्ति नरक में हो सकता है, अथवा स्वर्ग में' | 'तुम नरक में हो सकते हो और तुम्हारे पड़ोसी स्वर्ग में हो सकते हैं' | 'एक क्षण में तुम नरक में हो सकते हो और दूसरे ही क्षण स्वर्ग में' | 'जरा नजदीक से देखो', 'तुम्हारे चारों ओर का वातावरण परिवर्तित होता रहता है' | 'कभी-कभी यह बहुत बादलों से घिरा होता है' और 'प्रत्येक चीज धूमिल और उदास दिखाई देती है' और 'कभी-कभी धूप खिली होती है तो बहुत सुंदर और आनंदपूर्ण लगता है' | 'दुनिया का कोई भी धर्म, संगठन और व्यक्ति तुम्हें आनंदित नहीं कर ...