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चिंतन

संप्रदायों,पंथों में बंटा हुआ व्यक्ति सत्य को नहीं पहचान सकता। व्यक्ति की वैयक्तिक सोच,जब तक सृजन में साकार नहीं होती,तब तक व्यक्ति की सोच वायवीय समझी जाती है।एक पागलपन।सृजन के लिए यह पागलपन,जुनून जरुरी है। किसी चीज की वयुत्पत्ति के लिए दो विरोधी तत्त्वों का मिलन आवश्यक है। दूसरों को धोखा देने से पहले,व्यक्ति स्वयं को धोखा देता है।

ढोल,गंवार,पुरुष और घोड़ा

ओशो से किसी स्त्री ने प्रश्न किया, "ओशो! शास्त्र कहतें हैं- स्त्री नर्क का द्वार है।" इस पर आप क्या कहते हैं?  ओशो ने कहा, "एक छोटी सी कहानी कहता हूं-  ढब्बू जी की पत्नी धन्नो एक दिन उदास स्वर में अपनी सहेली गुलाबो से कह रही थी, "बहन, मैं तो परेशान हो गई हूं अपने पति से,वे मुझे हमेशा ही रामायण की यह चौपाई कि -  ढोल गंवार शूद्र पशु नारी। ये सब ताड़न के अधिकारी॥ कह कर प्रताड़ित करते रहते हैं। मैं तो तंग आ गई, यह सुन-सुन कर।"  गुलाबो बोली,"अरे,इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है! मैंने कुछ ही दिन पहले एक नई चौपाई बनाई है,तू इसे गाया कर- ढोल गंवार पुरुष और घोड़ा। जितना पीटो उतना थोड़ा ॥" इसमें क्या चिंता लेनी है! स्त्रियों को अपनी चौपाइयां बना लेनी चाहिएं। अपने शास्त्र बनाओ,शास्त्रों पर किसी की बपौती है,किसी का ठेका है? चौपाई लिखने की कला कोई बाबा तुलसीदास पर खत्म हो गई है? याद कर लो इस चौपाई को-  ढोल गंवार पुरुष और घोड़ा। जितना पीटो उतना थोड़ा ॥

तू न आना इस देस,लाडो...

-- "यैस ओशो" पत्रिका  के "जुलाई 2011" अंक का संपादकीय --लेखक :संजय भारती  एक लोकप्रिय टी.वी. सीरियल का यह शीर्षक बिलकुल मौजू हो जाता है अंतरराष्ट्रीय सर्वेक्षण संस्था थॉमस रॉयटर्स के इस तथ्य-उद्-घाटन से कि स्त्रियों के लिए असुरक्षित देशों में भारत पूरे विश्व में चौथे स्थान पर आता है। विश्वास नहीं होता न!  भारत में 30 लाख वेश्याएं हैं- अधिकारिक आँकड़ों के अनुसार। असली संख्या इससे कहीं ज्यादा होगी। अधिकारिक आँकड़ों के अनुसार जो 30 लाख वेश्याएं हैं,उनमें से 40 प्रतिशत चौदह वर्ष से कम उम्र की बच्चियां हैं। ये सब वे बच्चियां हैं जो चुरा ली गई या जिनके चाचा,भाई,पड़ौसी या स्वयं पिता तक ने पहले उनका उपभोग किया और फिर उन्हें बेच दिया। ज्ञात आँकड़ों के हिसाब से पिछले सौ वर्षों में 5 करोड़ बच्चियां गुम हुई हैं। विदेशी बैंकों में गुम हुआ भारत का धन तो आज सभी के जेहन में है,लेकिन ये 5 करोड़ बच्चियां? इनका क्या?  थॉमस रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार भारत में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों की लिस्ट में सबसे पहले स्थान पर आता है-स्त्रियों की भ्रूण ह्त्या। लेकिन परिवार