कोई चीज़ कितनी भी प्यारी क्यों न हो, अगर वह आत्म साक्षात्कार में बाधक हो तो उसे तुरंत हटा देना चाहिए । सांसारिक वस्तुओं में सुख की तलाश व्यर्थ है । आनंद का खजाना तुम्हारे भीतर है । इच्छाओं से ऊपर उठ जाओ, वे पूरी हो जाएंगी ; माँगोगे तो उनकी पूर्ति तुमसे और दूर जा पड़ेगी । जिस समय सब लोग तुम्हारी प्रशंसा करेंगे, वह समय तुम्हारे रोने का होगा, क्योंकि इसी प्रकार झूठे अवतारों के पिताओं ने उनकी प्रशंसा की थी । चिंताएँ, परेशानियाँ, दु:ख और तकलीफे परिस्थितियों से लड़ने से दूर नहीं हो सकती, वे दूर होंगी अपनी भीतरी दुर्बलता दूर करने से, जिसके कारण वे पैदा हुई हैं । हमारे समस्त दुखों का प्रधान कारण यह है कि हम अपने प्रति सच्चे न रहकर दूसरों को खुश करते रहते हैं । सच्चा पड़ोसी वह नहीं जो तुम्हारे साथ के मकान में रहता है, बल्कि वह है जो तुम्हारे साथ उसी विचार-स्तर पर रहता है । अपनी प्रत्यक्ष अनुभूति को ही अंतिम प्रमाण मानों । केवल आत्मज्ञान ही है, जो हमें सब जरूरतों से परे कर सकता है । दूसरों में दोष न निकालना, दूसरों को उतना उन दोषों से...