राष्ट्रभाषा, राजभाषा या संपर्कभाषा हिंदी
आज हिंदी को बहुत से लोग राष्ट्रभाषा के रूप में देखते हैं । कुछ इसे राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित देखना चाहते हैं । जबकि कुछ का मानना है कि हिंदी संपर्क भाषा के रूप में विकसित हो रही है । आइए हम हिंदी के इन विभिन्न रूपों को विधिवत समझ लें, ताकि हमारे मन-मस्तिष्क में स्पष्टता आ जाए । राष्ट्रभाषा से अभिप्राय: है किसी राष्ट्र की सर्वमान्य भाषा । क्या हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है ? यद्यपि हिंदी का व्यवहार संपूर्ण भारतवर्ष में होता है,लेकिन हिंदी भाषा को भारतीय संविधान में राष्ट्रभाषा नहीं कहा गया है । चूँकि भारतवर्ष सांस्कृतिक, भौगोलिक और भाषाई दृष्टि से विविधताओं का देश है । इस राष्ट्र में किसी एक भाषा का बहुमत से सर्वमान्य होना निश्चित नहीं है । इसलिए भारतीय संविधान में देश की चुनिंदा भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में रखा है । शुरु में इनकी संख्या 16 थी , जो आज बढ़ कर 22 हो गई हैं । ये सब भाषाएँ भारत की अधिकृत भाषाएँ हैं, जिनमें भारत देश की सरकारों का काम होता है । भारतीय मुद्रा नोट पर 16 भाषाओं में नोट का मूल्य अंकित रहता है और भारत सरकार इन सभी भाषाओं के विकास के लिए संविधान अनुसा...
लेकिन दोनों ही पराए हैं। न वो तेरा था न यह तेरा। सब उसका ही उसका।
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर बोध देती कथा..
बाल हठ जो जंचें वही ठीक..
जवाब देंहटाएंबहुत सुन्दर ..
आपकी यह श्रृंखला पढते हुए बचपन में पढ़ी जैनेन्द्र कुमार की कथा "खेल" याद आ गयी. जहाँ उन्होंने एक घरौंदे का संकेत चुना, वहाएं इस कथांश में सिक्के और कीमती पत्थर के बिम्ब लिये गए हैं. कथांश का अंतिम भाग एक दार्शनिक अथवा आध्यात्मिक भाव की ओर इंगित कर रहा है.
जवाब देंहटाएंश्रृंखला का विस्तार आगे की कड़ियों के लिये आकर्षण बनाए रखने में सफल है. किन्तु पूरी पोस्ट को एक ही अनुच्छेद में लिख डालने से अच्छा होता यदि अनुच्छेद परिवर्तन किया गया होता तथा संवादों को अलग से दर्शाया गया होता. यह सज्जा की दृष्टि से विचारणीय है. आगे की कड़ियों की प्रतीक्षा रहेगी. कृपया दो कड़ियों के बीच अधिक अंतराल न रखें, जिससे पिछली कथा का तारतम्य बना रहे!
हम्म...अगली पोस्ट की प्रतीक्षा।
जवाब देंहटाएंहम्म...अगली पोस्ट की प्रतीक्षा।
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