नियम

आदमी के बनाए नियम कभी आदमी से बड़े नहीं हो सकते । नियमों का सभी लोग पालन करेंगे, यह अपेक्षा करना मूर्खता है । आदमी ही नियम तोड़ता है,क्योंकि कोई नियम स्वयं जीवन से बड़ा नहीं हो सकता । @मनोज भारती

टिप्पणियाँ

  1. आपने तो समस्त विधि व्यवस्था का दर्शन प्रस्तुत कर दिया... आदमी के बनाए नियम, आदमी ने तोड़े और आदमी ही (नियम तोड़ने के) उस अपराध की विवेचना करता है...

    जवाब देंहटाएं
  2. क्‍या हमें यह नहीं सोचना चाहिये कि‍ - नि‍यम क्‍या है? नि‍यम बनाता कौन है? नि‍यम बनता ही क्‍यों है? नि‍यमों के पालन में कौन उत्‍सुक होता है?

    जवाब देंहटाएं
  3. भाई मनोज जी, कहाँ भुलाएल थे महाराज...चैतन्य बाबू का गए, आपो गायबे हो गए थे... बताइए त, ई त साफे जुलुम है... हमरे बारे में एतना तारीफ मत कीजिए, सच्कहो उसके काबिल नहीं हैं हम... छिपे हुए कहाँ थे हम, आप कभी देखबे नहीं किए हमारे तरफ... जाने दीजिए... अपनत्व जी ने राजनीति वाले पोस्ट पर आपका भी जिकिर की हैं..एक बार देख लीजिएगा... आते रहिए..अच्छा लगता है!!

    जवाब देंहटाएं
  4. नियम जब आदमी से बड़े होने लगें तो इस दुनिया में से दिल का नाता टूट जाएगा....
    जहाँ नियम है वहाँ भावनाएँ बाद में आतीं हैं

    जवाब देंहटाएं

एक टिप्पणी भेजें

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

राष्ट्रभाषा, राजभाषा या संपर्कभाषा हिंदी

चमार राष्ट्रपति

अमीर खुसरो की चतुराई