सारे मनुष्य का अनुभव शरीर का अनुभव है, सारे योगी का अनुभव सूक्ष्म शरीर का अनुभव है, परम योगी का अनुभव परमात्मा का अनुभव है । परमात्मा एक है, सूक्ष्म शरीर अनंत हैं, स्थूल शरीर अनंत हैं । वह जो सूक्ष्म है, वह नए स्थूल शरीर ग्रहण करता है । हम यहाँ देख रहें हैं कि बहुत से बल्ब जले हुए हैं । विद्युत तो एक है, विद्युत बहुत नहीं है । वह ऊर्जा, वह शक्ति, वह एनर्जी एक है ; लेकिन दो अलग बल्बों में प्रकट हो रही है । बल्ब का शरीर अलग अलग है, उसकी आत्मा एक है । हमारे भीतर से जो चेतना झाँक रही है, वह चेतना एक है, लेकिन उपकरण है सूक्ष्म देह, दूसरा उपकरण है स्थूल देह । हमारा अनुभव स्थूल देह तक ही रुक जाता है । यह जो स्थूल देह तक रुक गया अनुभव है, यही मनुष्य के जीवन का सारा अंधकार और दुख है । लेकिन कुछ लोग सूक्ष्म शरीर पर भी रुक सकते हैं । जो लोग सूक्ष्म शरीर पर रुक जाते हैं, वे ऐसा कहेंगे कि आत्माएँ अनंत हैं । ॥(योगी)॥ लेकिन जो सूक्ष्म शरीर से भी आगे चले जाते हैं, वे कहेंगे परमात्मा एक है, आत्मा एक है , ब्रह्म एक है ।।(परम योगी)॥ मेरी इन दोनों बातों में कोई विरोध नहीं है । मैंने जो आत्मा के प्रवेश के...