मेरी सेवानिवृत्ति
एक दिन मैं भी
ऐसे ही सेवानिवृत्त हो
कर
जाउंगा कार्यालय से
लोग अनमने मन से
मुझे भी कुछ हार पहनाएंगे
थोड़े मेरी प्रशंसा में
वे शब्द कहेंगे
जिनमें न रस होगा
न ताज़गी
और फिर खाने-पीने
का दौर शुरु हो जाएगा
तब मैं घर लौट आऊंगा
और लोग धीरे-धीरे
मुझे भूल जाएंगें
कार्यालय वैसे ही चलता
रहेगा
जैसे आज चलता है
बस मैं न रहूंगा
न मेरे हस्ताक्षर होंगे
0
0
0
होगा एक विराट शून्य
जिसमें धीरे-धीरे
सब समा जाएगा
और अस्तित्व अपनी
एक महायात्रा पूरी
कर चुका होगा
ऐसे ही सेवानिवृत्त हो
कर
जाउंगा कार्यालय से
लोग अनमने मन से
मुझे भी कुछ हार पहनाएंगे
थोड़े मेरी प्रशंसा में
वे शब्द कहेंगे
जिनमें न रस होगा
न ताज़गी
और फिर खाने-पीने
का दौर शुरु हो जाएगा
तब मैं घर लौट आऊंगा
और लोग धीरे-धीरे
मुझे भूल जाएंगें
कार्यालय वैसे ही चलता
रहेगा
जैसे आज चलता है
बस मैं न रहूंगा
न मेरे हस्ताक्षर होंगे
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होगा एक विराट शून्य
जिसमें धीरे-धीरे
सब समा जाएगा
और अस्तित्व अपनी
एक महायात्रा पूरी
कर चुका होगा
शीर्षक देखकर चौंक गया कि भरी जवानी में ये क्या.. लेकिन जब कविता पढ़ी तब लगा कि ये मुझ बूढ़े के आगामी जीवन काल का चित्र है जो चलचित्र की भांति (दूसरों के सेवानिवृत्ति अनुष्ठान)गुजार गया सामने से..
जवाब देंहटाएंकटु सत्य है मनोज जी! हमारी कार्यालयों में तो अब शून्य भी नहीं होता.. लोगों के लिए किसी की सेवानिवृत्ति एक वैकेंसी है, वैक्यूम नहीं!!
यह सब तो होता ही है. परंतु ब्लॉगिंग तो रहेगी. कोई समस्या नहीं. वैसे आपका मेरे ब्लॉग पर आना वर्जित ही रहेगा. MEGHnet
जवाब देंहटाएंshoony kaisa ..? hum logo ko aapse bahut paana hai.....
जवाब देंहटाएंAap aur adhik vyst ho jaenge hum sab ke beech
Aapke blog par aakar bahut shanti aur prerana miltee hai .
Aisee post ka yanha kya kaam ?
सरिता जी की टिप्पणी को ध्यान से चार बार पढ़िएगा.
जवाब देंहटाएंYahee to duniya hai!
जवाब देंहटाएंअपने कार्यालय से इतना प्यार ?
जवाब देंहटाएंये अच्छी बात नहीं है मनोज बाबू !
पूजने से पत्थर भी देवता हो जायेगा
इतना मत चाहॉं उसे वो सनम बेबफा हो जायेगा
एक यात्रा के बाद दूसरी महायात्रा का प्रारम्भ हो जाता है। कार्यालय में तो काम यथावत चलता रहेगा , लेकिन शायद कहीं और, जहाँ रुका हुआ था, वहां चालू हो जाएगा, संभवतः दौड़ने लगेगा। सेवानिवृत्ति एक स्थान से होती है , जीवन से नहीं। जितना लगाव कार्यस्थल से होता है , शीघ्र ही अन्य लोग, स्थल और अन्य कार्यों से हो जाता है। प्रेम और लगाव होने में देर ही कितनी लगती है।
जवाब देंहटाएंजन लोकपाल के पहले चरण की सफलता पर बधाई.
जवाब देंहटाएंBahut accha
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