दोस्ती और शेयरिंग

आज एक दृष्टांत प्रस्तुत कर रहा हूँ; दोस्ती और दोस्ती में अपेक्षाओं का। दोस्त अक्सर परस्पर एक-दूसरे के साथ अपने विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। एक दूसरे के सुख-दुख में शामिल होते हैं और इन्हें आपस में बांट कर सांझा करते हैं। लेकिन दोस्ती में क्या जरुरी है कि दोस्त की हर अपेक्षा को पूरा किया जाए??? 

एक बार मेरे किसी मित्र ने ई-मेल मेल से मुझे कुछ फोटोग्राफ़ भेजे। उन्होंने जो चित्र मुझे भेजे,वे तकनीकी कारणों से मेरी मेल पर खुले नहीं। मैंने उन्हें,प्रत्युत्तर भेजा कि आपने जो फोटोग्राफ़ भेजे थे,वे खुल नहीं पा रहे हैं? कृपया इन्हें पुन:भेज दें। मित्र ने मुझ से मेरे ई-मेल का पॉस-वर्ड पूछा। मैंने उन्हें पासवर्ड नहीं दिया।इस बात को लेकर मित्र मुझ से नाराज़ हो गए। और उन्हें लगा कि मैं उन्हें मित्र नहीं मानता। मित्र मानता तो पॉसवर्ड देता? इसके बाद हमारे बीच में दूरियाँ बढ़ गई,जिन्हें मैं चाह कर भी खतम नहीं कर सका। क्या किसी मित्र को अपनी इस तरह की निजी और गोपनीय बातें भी बतानी चाहिएं??? 

कृपया पाठक गण अपनी राय व्यक्त कर मेरी समस्या का समाधान करें।

टिप्पणियाँ

  1. इस परिस्थिति में मैं होता तो पासवर्ड नहीं देता
    .......लेकिन हाँ ......सबसे जरूरी बात...
    मैं इस बात के लिए मना करते हुए थोड़ी सावधानी बरतने का प्रयास जरूर करता
    [वैसे इस बात से किसी का आप से नाराज होना मुझे समझ नहीं आया ]

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  2. एक सच्चे मित्र को अपने मित्र की निजता और उससे जुड़े निर्णयों का स्वागत करना चाहिए [चाहें पहली नजर में वो निर्णय मन के अनुकूल ना हों ]

    मुझे नहीं लगता की आप को इस बात के लिए परेशान होना चाहिए , सिर्फ इतना ही विश्लेषण करें की मना करते वक्त परिस्थिति को कैसे संभालना है

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  3. पहली बात ...किसी भी मित्र को पासवर्ड मांगना ही नहीं चाहिए ...
    दूसरी इसमें नाराज़ होने की कोई वजह नहीं ...
    मित्र आपकी जगह खुद को रखकर सोचे
    तो समझ सकते हैं ....

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  4. मैं कदापि पासवर्ड नहीं देता ..आज वह पासवर्ड मांग रहा है कल कोई और महत्वपूर्ण चीज मांग लेगा ..इसलिए आपने सही किया .....!

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  5. आपने बहुत गलत किया. आपको तुरत अपने मित्र का पासवर्ड पूछना चाहिए था ताकि आप उसकी मेल में ही फोटो देख लेते. इससे नज़दीकियाँ बढ़ जातीं :)) परंतु आप ने अपना पासवर्ड न देकर बहुत अच्छा किया. ऐसे नासमझ मित्र (?) से दूरी दुखदायी नहीं होती.

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  6. ओशो कहते है कि प्रेम/मित्रता में, दूसरे का अतिक्रमण उस पर विजय सरीखा न होकर,समर्पण सरीखा होना चाहिये !

    आप दोनों मित्रों के लिये उपरोक्त कथन पर चिन्तन आवश्यक है।

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  7. chhoti chhoti baate agar badi ho jaati to mushkil ban jaati hai ,jab samjh nahi paate nibhana bhi mushkil ho jaata hai ,shayad koi rasta nikal aaye ,swatantrata divas ki badhai .

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  8. मित्रता का आधार ही गर अपेक्षा हो तो उपेक्षा का भय हमेशा बना रहता है.. क्योंकि अपेक्षाएं हमेशा गीली ज़मीन की तरह होती हैं जो परीक्षाओं का बोझ सहन नहीं कर पातीं और परिणाम उपेक्षा ही होता है...
    सर्वप्रथम तो पासवर्ड की मांग ही व्यर्थ थी, उसका उत्तर तो ना होना ही था..

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  9. किसी का पासवर्ड माँगना धृष्टता है और ऊपर से नाराज़ हो जाना बचपना है। आपने उचित निर्णय लिया। मित्र के नाराज़ होने का दुःख न करें । वह समय के साथ अपनी गलती realize करेंगे और स्वयं आपके नज़दीक लौटेंगे।

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  10. गर पासवर्ड मांगने वाले ने हक से माँगा है..
    तो जायज है..

    अगर आपका उस पर इतबार नहीं
    तो दोस्ती ही नाजायज है..

    अगर वास्तव में दोस्त है तो कुछ भी नहीं छिपता ... मुआ पास्वोर्ड क्या चीज़ है .

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