मजनू की आंख
मजनू को उसके गांव के राजा ने पकड़वा लिया था। गांव भर में चर्चा थी कि वह पागल हो गया है लैला के लिए। उसने बार-बार लैला को देखने की कोशिश की। बड़ी मुश्किल में पड़ा। लैला बहुत साधारण लड़की थी। फिर भी मजनू पागल हो गया।
राजा ने मजनू को बुलाया और कहा,"तू पागल तो नहीं है! लैला बड़ी साधारण लड़की है। मैंने बहुत सुंदर लड़कियां तेरे लिए बुला कर रखी हैं,उनको देख और जो तुझे पसंद हो उसके साथ तेरा विवाह कर दें।लेकिन लैला को भूल जा। लैला बड़ी साधारण लड़की है।"
मजनू हंसने लगा। उसने राजा से कहा कि शायद आपको पता नहीं,लैला को देखने के लिए मजनू की आंख चाहिए। मेरी आंख है आपके पास?
राजा ने कहा,"तेरी आंख मेरे पास कैसे हो सकती है!!!"
तो मजनू ने कहा,"फिर छोड़िए खयाल,आप लैला को न देख पाएंगे। लैला को मजनू देख सकता है। मजनू की आंख ही लैला को देख सकती है।"
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अधिकांश लोगों को यह भ्रम होता है कि आँखों से ही सबकुछ देखा जा सकता है.. लेकिन उन्हें यह पता नहीं होता कि एक नेत्रहीन व्यक्ति भी आँख वालों से अधिक देख सकता है.. आँखें तो वैसे भी मात्र संदेशवाहक का काम करती हैं, देखने वाली आँखें तो कहीं सुदूर अंतस में विद्यमान होती हैं.. उन्हीं आँखों से सूर ने यशोदा-कृष्ण के प्रेम को देखा होगा और इन्हीं आँखों से मजनूँ ने लैला की सुंदरता देखी होगी!!
जवाब देंहटाएंअत्यंत प्रेरक प्रसंग!!
Wah!
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर । धन्यवाद ।
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