पेड़ और सड़कें

देश की जनसंख्या निरंतर बढ़ रही है । देश में भीड़ बढ़ रही है । लोगों का एक जगह से दूसरी जगह आना-जाना बढ़ रहा है । यातायात के साधन बढ़ रहे हैं । सड़कों पर गाड़ियों की संख्या बढ़ रही है । शहरों में गाड़ी खड़ी करने के लिए जगह कम पड़ रही है । एक शहर को दूसरे शहर से जोड़ने वाली सड़कों की चौड़ाई उन पर दौड़ती गाड़ियों की संख्या के हिसाब से कम पड़ने लगी है । ऐसे में विभिन्न हाई-वे को चौड़ा करने का काम शुरु है । सड़कों को चौड़ा करते समय या सड़कों पर फ्लाई-ओवर बनाने के लिए सड़कों के किनारे खड़े वृक्षों को अपने जीवन की आहुति देनी पड़ती है । बहुत सी सड़कों के दोनों ओर यदि पर्याप्त दूरी से पेड़ नहीं लगाए गए थे, तो सड़क चौड़ी करते समय मीलों लम्बी सड़कों के किनारे खड़े हजारों वृक्षों को अपने जीवन से हाथ  धोना पड़ता है । अभी पिछले सालों में चंडीगढ़ दिल्ली हाई वे को चौड़ा किया गया और भीड़ वाली जगहों पर फ्लाई ओवर बनाए गए । प्रशासन या लोक निर्माण विभाग या वन विभाग अथवा किसी भी सरकार ने सड़क चौड़ी करते समय इस बात का ध्यान नहीं रखा कि सड़क चौड़ी किए जाने और फ्लाई-ओवर निर्माण के लिए सड़क के दोनों ओर से जो पेड़ काटे गए, उनकी जगह नए वृक्ष लगाए जाएँ । सड़क चौड़ी किए जाने की योजना बनाते समय इस बात का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए कि जितने पेड़ काटे जाएँ उससे दुगुने पेड़ लगाए भी जाएँ । और इन पेड़ों में उन पेड़ों की जातियाँ-प्रजातियाँ अधिक लगाई जानी चाहिए, जो जल्दी तैयार हो जाती हैं और जिनसे घनी छाया मिलती है । वर्ष 2005 में चंडीगढ़ -दिल्ली हाई-वे पर से जो वृक्ष काटे गए थे, उनके विकल्प के रूप में अभी तक कोई पेड़ नहीं लगाए गए हैं । जहां पहले यह मार्ग विशालकाय सफेदे, किकर और शिशम, अर्जुन जैसे वृक्षों से भरा रहता था, वहीं अब यह मार्ग वृक्ष और उनकी छाया से महरुम हो चुका है । गर्मियों के दिनों में इस मार्ग पर यात्रा करते समय ठंडी हवा और छाया का आनंद यात्रियों को मिलता था, उससे यात्री अब वंचित हैं ।
 क्या विकास के नाम पर हम जीवन का बहुत कुछ खो नहीं रहे, जो बहुत बहुमूल्य है .... विकास से कहीं ज्यादा ??? आइए वृक्ष लगाएँ और धरा बचाएँ । 

टिप्पणियाँ

  1. निश्चित ही इस ओर ध्यान दिया जाना चाहिये.

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  2. मनोज जी..मुझसे देर हो गई..लेकिन कोई बात नहीं... कुछ है आपके साथ जो मुझे अपने बचपन की ओर ले जाता है खींचकर... इतिहास वैसे तो बहुत छोटी क्लास तक पढा था, पर शेरशाह की बात याद आती है कि उसने ग्रांड ट्रंक रोड बनवाई और उसके किनार पेड़ लगवाए और सराएँ बनवाईं... कहाँ आ गए हम... पेड़ काट दिए सड़कों के नाम पर और सराय लापता... हड़प्पा और मोहनजोदाड़ो की बेहतरीन टाउन प्लान्निंग से हम आ गये खुदी हुई सड़कों तक...बक़ौल दुष्यंत कुमार
    आम सड़कें बंद हैं कब से मरम्मत के लिए
    यह हमारे वक़्त की सबसे बड़ी पहचान है.

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  3. ise abhiyan me hum sub aapke sath hai.
    nijee tour par mai bhee kafee sabhee ko jagrook karatee rahtee hoo.

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  4. बहुत ही बढ़िया और विचारणीय लेख! सभी को इस विषय पर ध्यान देना चाहिए और ये बहुत ही आवश्यक है!

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