क्या दार्शनिक होना बुरा है ?

क्या दार्शनिक होना बुरा है ? क्या ज्ञान के प्रति प्रेम होना स्वाभाविक नहीं है ? क्या ज्ञान के प्रति पागलपन की हद तक जुनून होना समाज के लिए घातक है ? क्या ज्ञान के प्रति जिज्ञासु होना बुरा है ? मैं जानता हूँ कि आप इस बहस में नहीं पड़ना चाहेंगे । फिर भी मैं आप से ये प्रश्न पूछ रहा हूँ , क्योंकि मैं जानता हूँ कि हर व्यक्ति के मन मस्तिष्क में ज्ञान के प्रति अनुराग रहता है, जब तक कि उसकी संवेदनशीलता मर नहीं जाती । आज की अति भौतिकतावादी संस्कृति में भोग ही मुख्य उद्देश्य हो गया है, जिसके चलते रुपए-पैसे की अहमीयत आदमी के लिए मुख्य और ज्ञान गौण हो गया है । शायद ज्ञान उसकी प्राथमिकताओं में रहा ही नहीं । मैं इस पोस्ट का अंत हिगेल के इस वचन से करना चाहूँगा कि बहुधा दार्शनिक अपने विचारों में खोये रहने के कारण चलते समय गड्डे में गिर जाते हैं, पर इसका कारण यह नहीं है कि उनके पास दृष्टि नहीं है, बल्कि उनकी दृष्टि भूमि के बजाए आकाश में जमी हुई है । उनकी यह मूर्खता उन व्यक्तियों से तो बेहतर ही है जो कभी आकाश की ओर देखने का साहस ही नहीं करते । मैं कहूँगा कि आप ज्ञान के लिए इतने पागल तो मत बने कि चलते समय गड्डे में गिर जाए, पर साथ ही यह भी कहूँगा कि अपने भीतर की उस संवेदना को न मरने दीजिए जो ज्ञान के लिए पिपासु है और जिसकी भूख और प्यास केवल धन,पद और प्रतिष्ठा से नहीं मिटती, बल्कि वह तो चीजों को उन्हें वैसे ही देखने से मिटती है, जैसी कि वे हैं । अपनी दृष्टि को स्वच्छ रखिए, उस पर किसी प्रकार के विश्वास और पूर्वाग्रह का बोझ न पड़ने दें ।

टिप्पणियाँ

  1. एक बड़ा ही अच्छा लेख छापा था नदियों के प्रदूषण पर और सबसे आश्चर्य की बात तो यह कही गई थी उस लेख में कि सभी प्रमुख नदियों पर इतने बाँध बाँध दिए गए हैं कि जिसे हम गंगा कहते हैं वह वास्तव में या तो प्रदूषित जल है या फिर उन सहायक नदियों का जल जो उसमें मिलती हैं.. वैसे ही ज्ञान की गंगा पर हमने परीक्षा और नौकरी, धन और पद के इतने बाँध बाँध दिए हैं कि ज्ञान का गंगा जल हमसे दूर होता चला जा रहा है.

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  2. roj kee dincharya me vyast manas har pal anubhavo ko kai roopo me sanjota rahta hai interaction bhee bahut madad karta hai vyvharikta bahut kuch sikha detee hai insan ko........aisa mera manna hai.........kaan aur aankhe hamare sahayak hai..........
    aisa mera manna hai.........
    hamesha kee tarah ek sunder lekh .

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