झूठ

कुछ झूठ समाज में स्थापित मूल्य बनकर सत्य के सिंहासन पर आरुढ़ होने का दावा करते हैं ।

दूसरे दिन:

पुनश्च : आपके मन में उक्त उक्ति से जो भी भाव आया, कृपया उसे टिप्पणी के रूप में देकर अनुगृहीत करें ।


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