जिंदगी की ए बी सी
जिंदगी की ए बी सी अर्थात जिंदगी का आधार क्या है ? सार्थक जिंदगी क्या है ? जीवन को कैसे जिया जाए कि जीवन में आनंद घटित हो । अंग्रेजी के पाँच शब्दों से हम इसे समझने की कोशिश करते हैं ।
जीवन की ए अवेयरनेस (awareness) अर्थात सजगता है । व्यक्ति की सजगता उसके जीवन को बनाने में अहम भूमिका निभाती है । यह सजगता ही है जो व्यक्ति की रुचियाँ निर्मित करती है । जहाँ व्यक्ति सहज रूप में सजग होता है, वही उसका मूल रुचि का विषय होता है । व्यक्ति अपनी सजगता,जागरुकता का दायरा बढ़ा कर विभिन्न विषयों में रुचि पैदा कर सकता है । व्यक्ति की सजगता जितने अधिक विषयों में होगी, उतनी ही उसकी बुद्धि प्रखर होगी । जहाँ व्यक्ति में सजगता का अभाव होगा, वहाँ वह कुछ खो देगा । लेकिन जहाँ कहीं वह सजग होगा, वहाँ जरूर वह कुछ न कुछ अपनी रुचि का ढ़ूढ़ लेगा । उचित होगा यदि हम कहें कि सजगता ज्ञान की कुंजी है । सजगता के दायरे को बढ़ा कर हम अधिकतम ज्ञान अर्जित कर सकते हैं ।
जीवन की बी बिलीफ़ ( belief) अर्थात विश्वास या धारणा है । व्यक्ति के विश्वास या धारणाएँ कैसी हैं ? यह उसके जीवन के प्रति दृष्टिकोण को निर्धारित करते हैं । हर व्यक्ति के अपने विश्वास होते हैं । उन विश्वासों के सहारे ही वह आगे बढ़ता है और दिन प्रति-दिन विश्वास बढ़ते जाते हैं । प्राय: व्यक्ति अपने विश्वासों या धारणाओं को ही जीवन मानता है । कुछ विश्वास समय के साथ और नए अनुभव आने पर बदल जाते हैं, जबकि कुछ विश्वास व्यक्ति कभी नहीं बदलता । विश्वास का निर्माण विभिन्न माध्यमों से होता है । कोई भी ज्ञान एक विश्वास ही है । विज्ञान भी एक विश्वास है । विज्ञान में पुराने तथ्य तब तक स्वीकृत रहते हैं, जब तक कि उन्हें नए आविष्कारों/अनुसंधानों से नकार न दिया जाए । जीवन में आपके विश्वास क्या हैं उन्हीं के अनुरूप आप है । आज आप जो हैं, आपके अब तक के विचारों (विश्वासों) के कारण हैं और आगे जो होंगे वे भी अपने विचारों के अनुरूप ही होगें । कहने का अभिप्राय: यह है कि आप अपने विचारो(विश्वासो) पर सवार हैं , जैसे आपके विचार होंगे वैसे ही आप होंगे , आपका जीवन होगा ।
जीवन की सी चायस (Choice) अर्थात चुनाव या चुनना है । हर व्यक्ति की अपनी पसंद या नापसंद होती है । यह आपके चुनाव पर निर्भर करता है । बचपन से ही आप कुछ न कुछ चुनते आए हैं । कहते हैं कि व्यक्ति अपने माँ-बाप के अतिरिक्त सब कुछ चुनता है । उसके दोस्त कौन हों, वह कपड़े कैसे पहने, वह क्या पढ़े, वह कौन सा टी.वी. कार्यक्रम देखे ... यह सब वह चुनता है । उसके इस चुनाव में वह अपना जीवन या चरित्र निर्माण कर रहा है । व्यक्ति का व्यक्तित्व उसके चुनाव पर निर्भर है । जैसा उसने समाज, दुनिया में से चुना वैसा ही उसने अपना व्यक्तित्व पाया है । तो व्यक्ति का चुनाव उसे बनाता है । इसलिए आपका आज का चुनाव सजग होना चाहिए, क्योंकि वही आपका भविष्य होने वाला है ।
अधिकांश लोगों के जीवन की ए बी सी उनकी सजगता के दायरे, उनके विश्वास और उनके चुनने के ढ़ँग तक ही सीमित रहती है । लेकिन कुछ लोग हैं जो इन तीनों से पार जाने की हिम्मत करते हैं और जीवन के चौथे पड़ाव को लाँघते हैं । यह चौथा पड़ाव निर्णायक है । जीवन का यह चौथा अक्षर डी अर्थात डिटैचमेन्ट (detachment)
अर्थात अनासक्ति है । व्यक्ति अपने जीवन में सचेतन जीता हुआ जब कोई विश्वास नहीं बनाता ,कुछ चुनाव नहीं करता.. वह मात्र जीवन को जीता है वर्तमान में अनासक्त भाव से । ऐसा व्यक्ति ही वस्ततुत: जीवन के आनंद को जानता है । जिस तरह से बच्चा बड़ा होने पर खिलौनों से खेलना छोड़ देता है , उसी प्रकार अनासक्त हुए व्यक्ति से जीवन के विषय छूट जाते हैं । गीता में इस स्थिति को स्थितप्रज्ञा कहा गया है ।
बहुत सही कहा आपने।
जवाब देंहटाएंबिलकुल ठीक कहा आपने.. एक सतत साधना सी है इन पर अमल करना..!
जवाब देंहटाएंjeevan darshan kee jhalak mileehai..............
जवाब देंहटाएंaabhar
jeevan ki aham baate hai jise aapne bayan kiya yahan .bahut khoob likha hai .
जवाब देंहटाएंव्यक्ति अपने जीवन में सचेतन जीता हुआ जब कोई विश्वास नहीं बनाता ,कुछ चुनाव नहीं करता.. वह मात्र जीवन को जीता है वर्तमान में अनासक्त भाव से । ऐसा व्यक्ति ही वस्ततुत: जीवन के आनंद को जानता है ।
जवाब देंहटाएंवाह .....क्या बात कह दी गुरु जी ......हमने तो हँसना भी छोड़ दिया गुरु जी ......!!
आपकी बातों से पूरी तरह सहमत हूँ...
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा रहा आपका आलेख..