ओशो के चिर-स्मरणीय दस सूत्र
1. किसी की आज्ञा कभी मत मानों, जब तक कि वह स्वयं की ही आज्ञा न हो ।
2. जीवन के अतिरिक्त और कोई परमात्मा नहीं है ।
3. सत्य स्वयं में है, इसलिए उसे और कहीं मत खोजना ।
4. प्रेम प्रार्थना है ।
5. शून्य होना सत्य का द्वार है; शून्यता ही साधन है, साध्य है, सिद्धि है।
6. जीवन है, अभी और यहीं ।
7. जियो, जागे हुए ।
8. तैरो मत - बहो ।
9. मरो प्रतिपल ताकि प्रतिपल नए हो सको ।
10. खोजो मत; जो है - है; रुको और देखो ।
2. जीवन के अतिरिक्त और कोई परमात्मा नहीं है ।
3. सत्य स्वयं में है, इसलिए उसे और कहीं मत खोजना ।
4. प्रेम प्रार्थना है ।
5. शून्य होना सत्य का द्वार है; शून्यता ही साधन है, साध्य है, सिद्धि है।
6. जीवन है, अभी और यहीं ।
7. जियो, जागे हुए ।
8. तैरो मत - बहो ।
9. मरो प्रतिपल ताकि प्रतिपल नए हो सको ।
10. खोजो मत; जो है - है; रुको और देखो ।
धर्म का इससे बढ़िया सार और क्या हो सकता है
जवाब देंहटाएंशुक्रिया इस ज्ञान को पढाने के लिए.
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