संसार और दुनिया
संसार शब्द कब दुनिया शब्द के अर्थ में व्यवहार में आने लगा, मालूम नहीं । संसार शब्द का अर्थ दुनिया शब्द से नितांत भिन्न है । संसार शब्द का मूल अर्थ है : सम्यक् सार । अर्थात सार तत्त्व की बात । लेकिन दुनिया शब्द का अर्थ है : जहां दु का राज है अर्थात जहां द्वैत और द्वंद्व है । शायद नकली गुरुओं द्वारा सात्विक सार तत्त्व की बात को बहुत बार बिना अनुभव के दोहराया गया, तो द्वैत में जीने वालों ने संसार और दुनिया में अंतर करना छोड़ दिया और संसार शब्द भी दुनिया का पर्याय बन कर रह गया ।- मनोज भारती
उत्तम विचार।
जवाब देंहटाएंफ़ुरसत में .. कुल्हड़ की चाय, “मनोज” पर, ... आमंत्रित हैं!
सुंदर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंमूल ध्यान गुरु रूप है, मूल पूजा गुरु पाँव ।
मूल नाम गुरु वचन है, मूल सत्य सतभाव ॥
हिन्दी, भाषा के रूप में एक सामाजिक संस्था है, संस्कृति के रूप में सामाजिक प्रतीक और साहित्य के रूप में एक जातीय परंपरा है।
हमरे बिचार से तो संसार हिंदी का सब्द है अऊर दुनिया उर्दू नहीं तो हिंदुस्तानी का सब्द है..हिंदुस्तानी सब उन सब्दों को कहते हैं जहाँ हिंदी पर उर्दू का तथा उर्दू पर हिंदी का प्रभाव दिखाई देता है... इसलिए हमको लगता है कि दुनिया युग्म सब्द नहीं है कि उसका बिच्छेद किया जाए. अगर दू से द्वैत का बोध होता है तो निया सब्द का ब्याख्या भी करना चाहिए. खैर साहित्त के मामले में त जानबे करते हैं कि हमरा हाथ तंग है तनी...
जवाब देंहटाएंसलिल जी, आपकी बात से सहमत हूँ कि दुनिया उर्दू शब्द है ;पर हमारी समझ कहती है कि दुनिया में द्वंद्व है दूसरी ओर दु के साथ यदि इन प्रत्यय जोड़ दिया जाए तो दुनिया होता है । निश्चित रूप से दो से दुनिया बनी है ।
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