आध्यात्मिक विषयों पर केंद्रित यह ब्लॉग सत्य,अस्तित्व और वैश्विक सत्ता को समर्पित एक प्रयास है : जीवन को इसके विस्तार में समझना और इसके आनंद को बांटना ही इसका उद्देश्य है।
एक सनातन गूंज...जो गूंज रही है अनवरत...उसी गूंज की अनुगूंज यहां प्रतिध्वनित हो रही है...
अहंकार मनुष्य की नकारात्मक शक्ति है । जिसका बीज हर मनुष्य में होता है । आयु बढ़ने के साथ-साथ यह बीज अंकुरित,पल्लवित होता हुआ विकसित होता है । पर जब अहंकार अपने शिखर पर होता है, तो मनुष्य अपने जीवन के निम्नतम स्तर पर होता है ।
एकदम खरा सोना जईसा बात कहे हैं आप मनोज जी... अहंकार जब आदमी का सवारी करने लगता है त उसको पतन के यात्रा पर जाता है... अऊर ई बात तो सच है कि पतन का मार्ग हमेसा गर्त्त में जाकर खतम होता है..
आज हिंदी को बहुत से लोग राष्ट्रभाषा के रूप में देखते हैं । कुछ इसे राजभाषा के रूप में प्रतिष्ठित देखना चाहते हैं । जबकि कुछ का मानना है कि हिंदी संपर्क भाषा के रूप में विकसित हो रही है । आइए हम हिंदी के इन विभिन्न रूपों को विधिवत समझ लें, ताकि हमारे मन-मस्तिष्क में स्पष्टता आ जाए । राष्ट्रभाषा से अभिप्राय: है किसी राष्ट्र की सर्वमान्य भाषा । क्या हिंदी भारत की राष्ट्रभाषा है ? यद्यपि हिंदी का व्यवहार संपूर्ण भारतवर्ष में होता है,लेकिन हिंदी भाषा को भारतीय संविधान में राष्ट्रभाषा नहीं कहा गया है । चूँकि भारतवर्ष सांस्कृतिक, भौगोलिक और भाषाई दृष्टि से विविधताओं का देश है । इस राष्ट्र में किसी एक भाषा का बहुमत से सर्वमान्य होना निश्चित नहीं है । इसलिए भारतीय संविधान में देश की चुनिंदा भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में रखा है । शुरु में इनकी संख्या 16 थी , जो आज बढ़ कर 22 हो गई हैं । ये सब भाषाएँ भारत की अधिकृत भाषाएँ हैं, जिनमें भारत देश की सरकारों का काम होता है । भारतीय मुद्रा नोट पर 16 भाषाओं में नोट का मूल्य अंकित रहता है और भारत सरकार इन सभी भाषाओं के विकास के लिए संविधान अनुसा
लिंकन अमेरिका का राष्ट्रपति हुआ । उसका बाप एक गरीब चमार था । कौन सोचता था कि चमार के घर एक लड़का पैदा होगा, जो मुल्क में आगे खड़ा हो जाएगा ? अनेक-अनेक लोगों के मन को चोट पहुँची । एक चमार का लड़का राष्ट्रपति बन जाए । दूसरे जो धनी थे और सौभाग्यशाली घरों में पैदा हुए थे, वे पिछड़ रहे थे । जिस दिन सीनेट में पहला दिन लिंकन बोलने खड़ा हुआ, तो किसी एक प्रतिस्पर्धी ने, किसी महत्वाकांक्षी ने, जिसका क्रोध प्रबल रहा होगा, जो सह नहीं सका होगा, वह खड़ा हो गया । उसने कहा, "सुनों लिंकन, यह मत भूल जाना कि तुम राष्ट्रपति हो गए तो तुम एक चमार के लड़के नहीं हो । नशे में मत आ जाना । तुम्हारा बाप एक चमार था, यह खयाल रखना ।" सारे लोग हँसे, लोगों ने खिल्ली उड़ाई, लोगों को आनंद आया कि चमार का लड़का राष्ट्रपति हो गया था । चमार का लड़का कह कर उन्होंने उसकी प्रतिभा छीन ली ।फिर नीचे खड़ा कर दिया । लेकिन लिंकन की आँखें खुशी के आँशुओं से भर गई । उसने हाथ जोड़ कर कहा कि मेरे स्वर्गीय पिता की तुमने स्मृति दिला दी, यह बहुत अच्छा किया । इस क्षण में मुझे खुद उनकी याद आनी चाहिए थी । लेकिन मैं तुमसे कहूँ, मैं
एक बार गर्मियों के दिनों में अमीर खुसरो किसी गाँव की यात्रा पर निकले थे । रास्ते में उन्हें बहुत जोर की प्यास लगी । वे पानी की खोज में एक पनघट पर जा पहुँचे । वहां चार पनिहारिनें पानी भर रही थी । खुसरों ने उनसे पानी पिलाने का अनुरोध किया । उनमें से एक पनिहारिन खुसरो को पहचानती थी । उसने अपनी तीनों सहेलियों को बता दिया कि पहेलियाँ बनाने वाले यही अमीर खुसरों हैं । विदित है कि अमीर खुसरो अपनी पहेलियों,मुकरियों तथा दो-सखुनों के लिए जगत प्रसिद्ध हैं । फिर क्या था ? चारों पनिहारिनों में से एक ने कहा मुझे खीर पर कविता सुनाओ, तब पानी पिलाऊंगी । इसी तरह से दूसरी पनिहारिन ने चरखा, तीसरी ने ढोल और चौथी ने कुत्ते पर कविता सुनाने के लिए कहा । खुसरो बेचारे प्यास से व्याकुल थे । पर खुसरो की चतुराई देखिए कि उन्होंने एक ही छंद में उन सबकी इच्छानुसार कविता गढ़ कर सुना दी - खीर पकाई जतन से, चरखा दिया जला । आया कुत्ता खा गया, तू बैठी ढोल बजा ।। ला पानी पीला । यह सुन कर पनिहारिनों की खुशी का ठीकाना न रहा । उन्होंने खुश होकर खुसरो को न केवल पानी
ऐसे पल मैंने अपने जीवन में महसूस किए हैं. चेताने के लिए धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंएकदम सही बात,
जवाब देंहटाएंमाया का खेल बिना अहंकार के शुरु ही नहीं हो सकता.
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जवाब देंहटाएंएकदम खरा सोना जईसा बात कहे हैं आप मनोज जी... अहंकार जब आदमी का सवारी करने लगता है त उसको पतन के यात्रा पर जाता है... अऊर ई बात तो सच है कि पतन का मार्ग हमेसा गर्त्त में जाकर खतम होता है..
जवाब देंहटाएंप्रेरक बातें!
जवाब देंहटाएंआपको और आपके परिवार को तीज, गणेश चतुर्थी और ईद की हार्दिक शुभकामनाएं!
फ़ुरसत से फ़ुरसत में … अमृता प्रीतम जी की आत्मकथा, “मनोज” पर, मनोज कुमार की प्रस्तुति पढिए!