अहंकार

अहंकार मनुष्य की नकारात्मक शक्ति है । जिसका बीज हर मनुष्य में होता है । आयु बढ़ने के साथ-साथ यह बीज अंकुरित,पल्लवित होता हुआ विकसित होता है । पर जब अहंकार अपने शिखर पर होता है, तो मनुष्य अपने जीवन के निम्नतम स्तर पर होता है । 

टिप्पणियाँ

  1. ऐसे पल मैंने अपने जीवन में महसूस किए हैं. चेताने के लिए धन्यवाद.

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  2. एकदम सही बात,
    माया का खेल बिना अहंकार के शुरु ही नहीं हो सकता.

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  3. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  4. एकदम खरा सोना जईसा बात कहे हैं आप मनोज जी... अहंकार जब आदमी का सवारी करने लगता है त उसको पतन के यात्रा पर जाता है... अऊर ई बात तो सच है कि पतन का मार्ग हमेसा गर्त्त में जाकर खतम होता है..

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