स्वप्न
च्वांगत्सू ने स्वप्न में देखा कि वह एक तितली है । रंग बिरंगी, पंख फड़फड़ाती, उड़ती, फूलों पर मँडराती ,तितली । तितली के रूप में उसे जरा भी ध्यान नहीं आया कि वह वास्तव में एक इंसान है । अपने मनुष्य रूप का कोई बोध उसके मन में नहीं था । फूलों पर मँडराते-मँडराते अचानक उसकी नींद टूटी ।
वह सोचने लगा ," क्या मैं एक मनुष्य हूँ, जो तितली होने का स्वप्न देख रहा था ? या मैं एक तितली हूँ जो मनुष्य होने का स्वप्न देख रही है ?"
है अनंत का तत्व प्रश्न यह...
जवाब देंहटाएंbahut sundar kathaa
जवाब देंहटाएंस्वप्न,जाग्रति,सुषुप्ती और तुरीय
जवाब देंहटाएंचेतना के इन तलों को टटोलनें में सहायक झेन कथा फिर याद कराने के लिये धन्यवाद!
बड़ी सार्थक पोस्ट है मनोज जी !
जवाब देंहटाएंआभार ,
-ज्ञानचंद मर्मज्ञ
aapke blog par a kar sadaiv hee badee shanti miltee hai.
जवाब देंहटाएंbahut badiya lagee ye katha.
सार्थक पोस्ट ....
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ कहती हुई !
सार्थक पोस्ट ....
जवाब देंहटाएंबहुत कुछ कहती हुई !