आदतवश
बात  तेरह  साल  पहले  की  है  ।  मेरे  पड़ौस  में  एक  परिवार  रहता  था  ।  उनके  दो  बेटे  थे  ।  माँ  अक्सर  अपने  बेटों   को  बात - बात  पर  डाँटती  रहती  थी  ।  डाँटते  समय  उनके  मुख  से  हमेशा  हरामजादा  शब्द  निकलता  था  ।  मैं  जब  भी  इस  शब्द  को  सुनता  तो  मुझे  बहुत  अजीब - सा  लगता  था  ।  मैं  सोचता  कि  इस  शब्द  का  प्रयोग  सचेतन  हो  रहा  है  या  आदतवश  ?  पड़ौस  से  इस  शब्द  का  प्रयोग  रोज  ही  सुनने  को  मिल  जाता  था  ।  एक  दिन  मैंने  उनके  छोटे  बेटे  से  पूछ  ही  लिया  कि  क्या  तुम्हें  हरामजादे  शब्द  का  मतलब  मालूम  है  ।  जो  आठवीं  कक्षा  का  विद्यार्थी  था  ।  उसने  अनभिज्ञता  व्यक्त  की  ।  मैंने  उसे  कहा , ठीक  है  ! इस  बार  आंटी  जब  आप  को  यह  गाली  दे  तो  उनसे  पूछना  कि  हरामजादे  का  मतलब  क्या  होता  है  ।  छोटे  बेटे  ने  वैसा  ही  किया  ।  कुछ  असर  दिखाई  पड़ा  ।  पड़ौस  से  अब  हरामजादे  की  आवाज़े  बहुत  कम  सुनाई  देने  लगी  थी  । व्यवहार  में  हम  कितने  ही  शब्दों  का  प्रयोग  आदतवश  करते  हैं , बिना  यह  सोचे  विचारे  की  कि  जिन  शब्द...
 
