दुख

मिट्टी का घड़ा
आग में पकाया
न गया हो
तो क्या
पानी उसमें ठहर पाएगा

जीवन का घड़ा
दुख की अग्नि में पकाया
न गया हो
तो क्या
वह आनंद का पात्र
बन पाएगा

टिप्पणियाँ

  1. bahutt achchi lagi yeh kavita

    zindagi ki sachchayion se rubaroo karati........ ek behtareen bhaav liye hai yeh arthpoorna kavita......

    bahut achchi lagi........

    जवाब देंहटाएं
  2. चंद शब्दों में आपने बहुत बड़ी बात कह दी । बहुत सुन्दर !!!!

    जवाब देंहटाएं

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