बेदर्दों की दुनिया
कितनी पीड़ा होती है
जब किसी पेड़ पर खुदा
दिल,तीर और प्रेम संदेश देखता हूँ
पर बेबस मैं कर ही क्या सकता हूँ
बस एक ही ख्याल मन में
आता है बार-बार
क्या प्रेम इतना अंधा और संवेदनहीन होता है
कि दर्द नहीं होता ऐसे पेड़ की छाती को चीरते हुए
क्या ऐसा प्रेम प्रेमिका की छाती का दर्द समझता है
या यूं ही उसे चीरने का सुख लेता है
और फिर छोड़ उसे एकाकी दूर निकल जाता है
एक दर्द का निशान हमेशा उसके कलेजे पर छोड़
फिर देखता हूँ -
कि पेड़ के जख्म भरते जाते हैं
और दिल,तीर उभरते जाते हैं
और नाम छाती में अमिट बने रहते हैं
मानो कह रहें हों कहानी उस प्रेम की
जो न केवल अंधा और संवेदनहीन है
बल्कि बेदर्द और बेसबब भी है
जो किसी को दर्द दे वह किसी को सुख कैसे दे देता है
पेड़ से इस बारे में
एक दिन पूछ बैठा
पेड़ ने कहा मत पूछो
उस दर्द की कहानी -
बस बेदर्दों की दुनिया में जीना है
तो छाती चिरवाने में खुशी समझो ।
जब किसी पेड़ पर खुदा
दिल,तीर और प्रेम संदेश देखता हूँ
पर बेबस मैं कर ही क्या सकता हूँ
बस एक ही ख्याल मन में
आता है बार-बार
क्या प्रेम इतना अंधा और संवेदनहीन होता है
कि दर्द नहीं होता ऐसे पेड़ की छाती को चीरते हुए
क्या ऐसा प्रेम प्रेमिका की छाती का दर्द समझता है
या यूं ही उसे चीरने का सुख लेता है
और फिर छोड़ उसे एकाकी दूर निकल जाता है
एक दर्द का निशान हमेशा उसके कलेजे पर छोड़
फिर देखता हूँ -
कि पेड़ के जख्म भरते जाते हैं
और दिल,तीर उभरते जाते हैं
और नाम छाती में अमिट बने रहते हैं
मानो कह रहें हों कहानी उस प्रेम की
जो न केवल अंधा और संवेदनहीन है
बल्कि बेदर्द और बेसबब भी है
जो किसी को दर्द दे वह किसी को सुख कैसे दे देता है
पेड़ से इस बारे में
एक दिन पूछ बैठा
पेड़ ने कहा मत पूछो
उस दर्द की कहानी -
बस बेदर्दों की दुनिया में जीना है
तो छाती चिरवाने में खुशी समझो ।
बस बेदर्दों की दुनिया में जीना है
जवाब देंहटाएंतो छाती चिरवाने में खुशी समझो
हाँ यही तो होता रहा है.....
और उसपर क़यामत ये :
हम आह भी भरते हैं तो हो जाते हैं बदनाम
वो कत्ल भी करते हैं तो चर्चा नहीं होता
धन्यवाद अदा जी !!!
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