निश्चल आकाश

चारों ओर
उद्देश्य की आंधियाँ
बह रही
न जाने इन आंधियों में
इस निरुद्देश्य
जीवन का
क्या वजूद हो
नहीं जानता
पर इसमें जो प्रतिबिम्ब
बनते बिगड़ते रहते हैं
उसके पीछे जो अनन्त
आकाश है
वह शाश्वत निश्चल है

टिप्पणियाँ

  1. किसने कहा कि जीवन निरुद्देश्य है ?
    हर जीवन एक उद्देश्य के साथ ही प्रादुर्भाव पाता है.....यहाँ तक कि एक चींटी भी उद्देश्य लेकर आती है संसार में....हाँ वह आकाश है वह शाश्वत निश्चल है.....
    ऐसा हम देख रहे हैं.....

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