प्रतिध्वनि
एक व्यक्ति अपने नन्हें बेटे के साथ पहाड़ों की यात्रा पर था । एक जगह अचानक बेटे का पैर फिसला, उसे चोट लगी और मुँह से आह! की तेज ध्वनि निकली । बच्चे ने सुना कि घाटियों में कोई और भी है जो उसके जैसी ही आवाज निकाल रहा है । उसने जोर से चिल्लाकर पूछा-"तुम कौन हो ?" जवाब मिला - "तुम कौन हो ?" लड़का फिर बोला-"मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ ?" उत्तर आया- "मैं तुम्हें देखना चाहता हूँ ?" बच्चे ने आश्चर्य से अपने पिता से इसका रहस्य जानना चाहा । पिता ने मुस्कराते हुए कहा- "बेटा, यह तुम्हारी ही आवाज़ है, जो घाटियों द्वारा वापस लौटा दी गई है । विज्ञान इसे इको (प्रतिध्वनि) कहता है । लेकिन मेरे देखे हमारा जीवन भी कुछ ऐसा ही है । तुम जो कुछ इसे दोगे यह वापस कर देता है । यह हमारे कर्मों का प्रतिबिंब है । तुम दुनिया में जितना प्यार देखना चाहते हो, उतना प्यार स्वयं में पैदा करो, जितनी क्षमता दुनिया में देखना चाहते हो, उतना खुद में विकसित करो, जितना सकारात्मक परिणाम पाना चाहते हो, उतने ही सकारात्मक प्रयास करो । यह जीवन के हर क्षेत्र में लागू होता है ।"
jaisa karm karoge vaisa hi fal paaoge..
जवाब देंहटाएंbahut khushi hoti hai aise drishtant padh kar..
dhanyawaad...