विडम्बना
मां दुखी
पिता परेशान
कि
बेटा छब्बीस का
होने को आया
पर
मिली नहीं नौकरी
बाप परेशान
कि
दे नहीं सकता
घूस में लाखों
मां दुखी
कि
बेटा यूनिवर्सिटी तक
प्रथम श्रेणी में रहकर
भी है बेकार
और बेटा ...
अर्थ से बेअर्थ हुआ
जो कुछ अर्थ पाता
ले जाकर उसको
खरीदता कविता की पुस्तकें
ताकि
अपना खोया संतुलन पा सके
और संयमित हो सके
पिता परेशान
कि
बेटा छब्बीस का
होने को आया
पर
मिली नहीं नौकरी
बाप परेशान
कि
दे नहीं सकता
घूस में लाखों
मां दुखी
कि
बेटा यूनिवर्सिटी तक
प्रथम श्रेणी में रहकर
भी है बेकार
और बेटा ...
अर्थ से बेअर्थ हुआ
जो कुछ अर्थ पाता
ले जाकर उसको
खरीदता कविता की पुस्तकें
ताकि
अपना खोया संतुलन पा सके
और संयमित हो सके
सरल और सहज रचना एं.अच्छी लगी बधाई
जवाब देंहटाएंYah to ghar ghar ki kahani hai...
जवाब देंहटाएंbahut hi sajeev chitran..