जीवन-रहस्य
एक लहर उठी
और गिर गई
एक पतंग उड़ी
और कट गई
एक दोस्त मिला
और बिछुड़ गया
एक फूल खिला
और मूर्झा गया
एक आशा बंधी
और निराशा बनी
एक सुख आया
और दुख हो गया
एक दोस्त बना
और दुश्मन हो गया
एक सांस आई
और एक सांस गई
एक ऋतु आई
और दूसरी ऋतु गई
एक अपेक्षा की
और उपेक्षा हो गई
एक जमाना आया
और दूसरा जमाना गया
क्या परिवर्तन का दूसरा नाम
जीवन नहीं है ?
या कुछ है शाश्वत
अमिट, अमृत, आनंद
हे जीवन तुम्हीं
रहस्य खोलो
और गिर गई
एक पतंग उड़ी
और कट गई
एक दोस्त मिला
और बिछुड़ गया
एक फूल खिला
और मूर्झा गया
एक आशा बंधी
और निराशा बनी
एक सुख आया
और दुख हो गया
एक दोस्त बना
और दुश्मन हो गया
एक सांस आई
और एक सांस गई
एक ऋतु आई
और दूसरी ऋतु गई
एक अपेक्षा की
और उपेक्षा हो गई
एक जमाना आया
और दूसरा जमाना गया
क्या परिवर्तन का दूसरा नाम
जीवन नहीं है ?
या कुछ है शाश्वत
अमिट, अमृत, आनंद
हे जीवन तुम्हीं
रहस्य खोलो
कहते हैं आपके कर्म ही आपके साथ जाते हैं...तो मान लेते हैं कि जीवन में कमाए गए अच्छे-बुरे कर्म ही आपके साथ हैं...
जवाब देंहटाएंनिश्चित ही कर्म से मुक्त नहीं हो सकते
जवाब देंहटाएंमगर कर्म को कर्मफल से मुक्त कर सकें
तो जीवन सार्थक है ।